नया रायपुर — मां के आँचल सी शांति, हवा के झोंके जैसा सुकून

लेखिका:देवलीना सरकार

ज़िंदगी की भाग-दौड़ में जब थक कर कहीं रुकने का मन हो, तो कुछ लोग पहाड़ों की तरफ भागते हैं, कुछ समुद्र की लहरों में खुद को ढूंढते हैं, और कुछ लोग खोजते हैं एक ऐसी जगह, जहाँ प्रकृति और उन्नति दोनों का संगम हो।

है ना? नया रायपुर, एक ऐसा ही शहर है।

बाहर के लोग भले ही इससे कम परिचित हों, लेकिन जैसे ही आप इसकी मिट्टी में कदम रखते हैं ये आपको कुछ इस तरह अपनाता है, जैसे बरसों से जानता हो।

नया रायपुर कोई आम शहर नहीं।
ये चकाचौंध से प्रभावित नहीं करता, ये तो वैसा शहर है जैसे तपती दोपहर में घर लौटो और मां बिना कुछ कहे अपने आँचल की छांव में बिठा ले, फिर बिना पूछे हाथ में ठंडे पानी का गिलास थमा दे। हमारा नया रायपुर भी कुछ ऐसा ही है I

नया रायपुर — एक शांत आत्मा, एक सजीव सपना।

यहाँ की हवा में आज भी मिट्टी की वो सोंधी खुशबू है, जो आधुनिकता की भीड़ में खो चुकी है।

यहाँ की चौड़ी, स्वच्छ सड़कें पेड़ों की छांव से सजी हैं।
हर मोड़ पर शांति है, हर नुक्कड़ पर सादगी।
यह शहर आधुनिक है, पर कृत्रिम नहीं।
वाई-फाई ज़ोन हैं, स्मार्ट स्ट्रीट लाइट्स हैं, हरित भवन हैं  लेकिन इनके पीछे भी एक आत्मा है, जो मिट्टी से जुड़ी है।

यहाँ AIIMS जैसे संस्थान दिन-रात बिना थके सेवा दे रहे हैं, और भारतमाला जैसी योजनाएँ शहर को देश के हर कोने से जोड़ रही हैं।
यह विकास की ओर अग्रसर है पर प्रकृति की उँगली पकड़कर, बिना उसे पीछे छोड़े।

यहाँ आज भी सुबह पंछियों की बोली और रात को झींगुरों की ध्वनि सुनाई देती है।

यहाँ पतझड़ के बाद हरियाली सच में ज़मीन पर लौटती है न कि केवल फूलदानों में प्लान किए गए तरीके से।
बीच दिन में कभी कोयल की कूक सुनाई दे जाए, तो लगता है जैसे कोई पुराना दोस्त बिना बताये मिलने चला आया हो।

यहाँ तरक्कीहै, प्रदूषण नहीं।
उन्नति है, उदासीनता नहीं।
आधुनिकता है, पर मर्यादा के साथ।

और सच कहूँ तो…

यह एक ऐसी जगह है, जिसे बस देखा नहीं जाता, महसूस किया जाता है।

यह केवल एक स्मार्ट सिटी नहीं,बल्कि एक संवेदनशील कविता है, जिसमें प्रकृति, संस्कृति और तकनीक तीनों की बुनावट है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *